मोबाइल के युग में किताब प्रेम, गांव के 35 घरों में लाइब्रेरी, 35 हजार किताबें, आ चुके हैं 15 लाख पर्यटक!

शुभम बोडके
सतारा: मराठों की राजधानी के नाम से मशहूर सतारा की एक अलग पहचान है. इसलिए यह जिला विदेशी पर्यटकों के लिए हमेशा आकर्षण का केंद्र रहा है. महाबलेश्वर और पचगनी के बीच स्थित एक गांव ने सतारा को पूरी दुनिया में एक अलग पहचान दिलाई है. कभी स्ट्रॉबेरी का गांव कहा जाने वाला भिलार आज दुनिया में दूसरा और भारत का पहला किताबों का गांव है. तत्कालीन शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े द्वारा लागू की गई अवधारणा के कारण इस गांव को एक नई पहचान मिली है.

भिलार किताबों का गांव
भिलार सतारा जिले में महाबलेश्वर, पचगानी के बीच स्थित एक स्थान है. इस गांव को पहले स्ट्रॉबेरी गांव के नाम से जाना जाता था. लेकिन तत्कालीन शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने भिलार गांव में पुस्तक गांव की अवधारणा लागू की. ब्रिटेन के हे-ऑन-वे गांव को दुनिया के सबसे पहले पुस्तक गांव के रूप में जाना जाता है. यह अवधारणा उसी तर्ज पर थी. इसलिए भिलार को अब भारत में पहला पुस्तकों के गांव के रूप में जाना जाता है. इस गांव को देखने के लिए विदेश से कई पर्यटक और छात्र आते हैं.

क्या है खासियत?
गांव में बाल साहित्य, उपन्यास, हास्य पुस्तकें, जीवनियां, आत्मकथाएं, दिवाली अंक, पत्रिकाएं, पर्यावरण पुस्तकें, समाचार पत्र, साप्ताहिक, इतिहास, कहानियां, कला, चित्र पुस्तकें पढ़ी और देखी जा सकती हैं. गांव की सड़क के किनारे 35 घरों में विभिन्न विभागों के 35 पुस्तकालय हैं. इन 35 घरों में पाठकों के लिए 35 हजार से अधिक किताबें रखी हुई हैं. भिलार के लोग पिछले आठ वर्षों से अगली पीढ़ी के लिए मराठी भाषा को संरक्षित करने के लिए काम कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अपनी मराठी भाषा को पूरे भारत और विदेशों में फैलाने के लिए पाठकों के लिए हजारों किताबें रखी गई हैं.

सुबह 7 बजे खुलता है हॉल
भिलार के लोग एक गांव और एक परिवार की तरह काम कर रहे हैं. सुबह सात बजे पुस्तक गांव का हॉल खोल दिया जाता है. यह शाम तक खुला रहता है. भिलार गांव में बड़ी संख्या में शिक्षक, बच्चे और बुजुर्ग लोग किताबें पढ़ने आते हैं. साथ ही देश-विदेश से आने वाले पर्यटक इस पुस्तक गांव को देखने जरूर आते हैं. इन पर्यटकों को महज 2 से 3 मिनट में भिलारवासी गांव और किताबों के बारे में जानकारी बता दी जाती है.

गांव में 50 हजार से ज्यादा किताबें
भिलार के 35 घरों के विभिन्न हॉलों में प्रतिदिन औसतन 100 से 200 पर्यटक आते हैं. 4 मई 2017 पुस्तक गांव की अवधारणा की शुरुआत हुई. अब गांव में 50 हजार से ज्यादा किताबें हैं. तो आज आखिरकार 14 से 15 लाख पर्यटक इस पुस्तक गांव में आ चुके हैं और किताबें पढ़ चुके हैं.

Tags: Maharashtra News

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