देवभूमि कुल्लू निवासी डॉ , सुदेशना ठाकुर को मिला 50 लाख रुपये की बायोकेयर रिसर्च परियोजना के तहत।

देवभूमि कुल्लु निवासी डॉ. सुदेशना ठाकुर को मिला 50 लाख रुपये की बायोकेयर रिसर्च परियोजना

योजना के तहत “बेमिसिया टैबासी (गेनेडियस) में ऑक्टोपामाइन रिसेप्टर के कार्यात्मक लक्षण वर्णन” नामक परियोजना से सम्मानित

जसवंत कौर बिंद्रा फेलोशिप और पीएचडी कार्यक्रम में बाबा गंगा सिंह मेमोरियल इनोवेशन अवार्ड से भी हो चुकी है सम्मानित

मुनीष कौंडल।

कुल्लू ज़िला निवासी और नव ज्योति पब्लिक स्कूल और अरुणोदय सीनियर सेकेंडरी स्कूल की पूर्व छात्रा डॉ. सुदेशना ठाकुर को 50 लाख रुपये की बायोकेयर रिसर्च परियोजना मिली है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के कीट विज्ञान विभाग की पीएचडी छात्रा डॉ. सुदेशना ठाकुर ने प्रतिष्ठित बायोकेयर रिसर्च परियोजना प्राप्त करके इस विशिष्ट संस्थान का गौरव बढ़ाया है। उन्हें भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) द्वारा प्रायोजित महिला वैज्ञानिकों के लिए जैव प्रौद्योगिकी कैरियर उन्नति और पुनर्संयोजन कार्यक्रम (बायोकेयर) योजना के तहत “बेमिसिया टैबासी (गेनेडियस) में ऑक्टोपामाइन रिसेप्टर के कार्यात्मक लक्षण वर्णन” नामक परियोजना से सम्मानित किया गया है। 50 लाख रुपये की लागत वाली यह परियोजना कीट आणविक जीव विज्ञान प्रयोगशाला, कीट विज्ञान विभाग में डॉ. विकास जिंदल, प्रधान कीट विज्ञानी के मार्गदर्शन में क्रियान्वित की जाएगी, जिन्होंने स्वयं डीबीटी, एसईआरबी, यूजीसी आदि से विभिन्न तदर्थ परियोजनाएं जीती हैं। डॉ.सुदेशना ठाकुर कपास की फसल में घातक कीट, व्हाइटफ्लाई में कीट बायोजेनिक अमीन रिसेप्टर और मोनोमाइन की विशेषता का पता लगाने के लिए प्रधान अन्वेषक के रूप में काम करेंगे। डॉ. जिंदल ने कहा कि व्हाइटफ्लाई में ऑक्टोपामाइन रिसेप्टर को सक्रिय करने वाले मोनोमाइन की पहचान की जाएगी, जो अगली पीढ़ी के कीटनाशकों के विकास के लिए आधार प्रदान कर सकते हैं। डॉ. सुदेशना ठाकुर अपने पूरे शैक्षणिक जीवन में एक मेधावी छात्रा रही हैं। उन्हें जसवंत कौर बिंद्रा फेलोशिप और पीएचडी कार्यक्रम में बाबा गंगा सिंह मेमोरियल इनोवेशन अवार्ड से सम्मानित किया गया है। वह अपने माता-पिता टीकम राम ठाकुर और सुख दासी ठाकुर की बहुत आभारी हैं, जो अधिक से अधिक सफलता हासिल करने के लिए निरंतर प्रेरणा स्रोत रहे हैं। वह अपने भाइयों डॉ. रणजीत ठाकुर और राहुल ठाकुर की भी आभारी हैं, जो उनकी सफलता की यात्रा में उत्साहवर्धक रहे हैं।

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