जयपुर. देश में इस समय रेलवे क्रांतिकारी बदलाव के दौर से गुजर रहा है. राजधानी से लेकर एक्सप्रेस ट्रेनों की स्पीड को बढ़ाया जा रहा है. ट्रेनें जहां पहले 70 से 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी वे अब 100 की स्पीड से दौड़ रही हैं. ज्यादा स्पीड में अगर ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त होती है तो पुराने डिजाइन के डिब्बों के कारण जनहानि होने की आशंका बनी रहती है. इससे बचने के लिए लिंक हॉफमैन बुश (LHB) बोगियों का इस्तेमाल शुरू किया गया है. इन बोगियों से दुर्घटना में जनहानि को कम किया जा सकता है.
उत्तर पश्चिम रेलवे (NWR) की प्लानिंग के अनुसार साल 2024 तक सभी ट्रेनों में LHB कोच लग जाने चाहिए थे. क्योंकि NWR ने इसी साल का दावा किया था. लेकिन हालात ये हैं कि अब तक केवल 30 प्रतिशत ट्रेनों में ही LHB कोच लग पाए हैं. ऐसे समय में जब ट्रेनों की स्पीड को लगातार बढ़ाया जा रहा है और रेलवे आधुनिक होता जा रहा है तो LHB कोच रेलवे की जरूरत बन गया है.
LHB यानि लिंक हॉफमैन बुश. ये कोच भी ट्रेन के अन्य कोच की तरह ही होते हैं. लेकिन अपने मैटल और लचीलेपन की वजह से ये खास बन जाते हैं. देश में पहली बार LHB कोच को साल 1999 में शामिल किया गया था. फिर आहिस्ता आहिस्सा ये देश के सभी रेलवे जोन में चलने वाली ट्रेनों का हिस्सा बन गए. अब समय की मांग है कि अब सभी रेलों में LHB कोच ही लगे और रेलवे इस दिशा में काम भी कर रहा है. लेकिन ये काम अब तक पूरा नहीं हुआ.
ये खासियत हैं LHB कोच की
1. LHB कोच एंटीटेलीस्कोपिक डिजाइन से बनते हैं.
2. LHB कोच एक दूसरे टकराते नहीं है.
3. LHB कोच का पटरियों से उतरने का खतरा ना के बराबर होता है.
4. दुर्घटना होने की स्थिति में ठोकर सहने की क्षमता में ज्यादा होती है.
5. LHB कोच यात्रियों के लिए बेहद आरामदायक होते हैं.
6. यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से वर्तमान में रेलवे की जरूरत है.
NWR में इस समय 30 प्रतिशत ट्रेनों को LHB रैक से चलाया जा रहा है. वंदे भारत पहले से ही LHB कोच से चल रही हैं. लेकिन अब साधारण ट्रेनों को भी इन बोगियों की जरूरत है. NWR में लगभग 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिफिकेशन पूरा होने वाला है. एक बार इलेक्ट्रिफिकेशन पूरा हो गया तो तो सभी रेलों की स्पीड को बढ़ाया जाएगा. ऐसे में LHB कोच सभी रेलों की आवश्यकता बन गया है.
.
Tags: Indian Railway news, Jaipur news, Rajasthan news
FIRST PUBLISHED : March 5, 2024, 11:14 IST